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सखा॑य॒ आ शि॑षामहि॒ ब्रह्मेन्द्रा॑य व॒ज्रिणे॑ । स्तु॒ष ऊ॒ षु वो॒ नृत॑माय धृ॒ष्णवे॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sakhāya ā śiṣāmahi brahmendrāya vajriṇe | stuṣa ū ṣu vo nṛtamāya dhṛṣṇave ||

पद पाठ

सखा॑यः । आ । शि॒षा॒म॒हि॒ । ब्रह्म॑ । इन्द्रा॑य । व॒ज्रिणे॑ । स्तु॒षे । ऊँ॒ इति॑ । सु । वः॒ । नृऽत॑माय । धृ॒ष्णवे॑ ॥ ८.२४.१

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:24» मन्त्र:1 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:15» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:1


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शिव शंकर शर्मा

परमदेवता इन्द्र के महिमा की स्तुति पुनः आरम्भ करते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे मित्रों ! (वज्रिणे) दण्डधारी (इन्द्राय) परमेश्वर की कीर्तिगान के लिये (ब्रह्म) हम स्तोत्र का (आशिषामहि) अध्ययन करें। मैं (वः) तुम लोगों के (नृतमाय) सब कर्मों के नेता और परममित्र (धृष्णवे) सर्वविघ्नविनाशक परमात्मा के लिये (सुस्तुषे) स्तुति करता हूँ ॥१॥
भावार्थभाषाः - हम सब ही मिलकर उसके गुणों का अध्ययन करें, जिससे मानवजन्म सफल हो ॥१॥
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शिव शंकर शर्मा

परमदेवताया इन्द्रस्य महिम्नः स्तुतिरारभ्यते।

पदार्थान्वयभाषाः - हे सखायः ! वज्रिणे। इन्द्राय=ईश्वराय। ब्रह्म=स्तोत्रम्। आशिषामहि=अध्ययामहै। अहम्। वः=युष्माकम्। नृतमाय=परममित्राय। धृष्णवे=सर्वविघ्नविनाशकाय। ऊ=निश्चयेन। सु=सुष्ठु। स्तुषे=स्तौमि ॥१॥